इस प्रभाग का मुख्य उद्देश्य मत्स्य संसाधन एवं उनकी संरक्षण से जुड़ी हुई जैव रासायनिक एवं पोषण संबंधी समस्याओं का निराकरण एवं नवीन तकनीकों /उत्पादों को विकसित करने के लिए आधार भूत जानकारी प्रदान करना है ।
मत्स्य के जीव रसायनिक घटकों पर सूचना संसाधन टेकनोलोजिस्टों के लिए प्राथमिक इनपुट है । अनुभाग में शोध द्वारा मत्स्य और वाणिज्यपरक रूप के महत्वपूर्ण जलीय जीवों के प्रोटीन, लिपिड, फैटी अम्ल, धातु आदि पर डाटा बेस हैं तैयार किए हैं ।
मत्स्य में मौजूद प्रोटीन, लिपिड आदि में संसाधन के दौरान भिन्न बदलाव आते हैं और यह उत्पादों के गुण को विपरीत रूप में प्रभावित करते हैं । प्रोटीन में डीनाट्ररेशन होता है, जिससे उत्पादों के संरचना में फर्क आता है । लिपिड़ों की आक्सीकरण और हाइड्रोलिसिस उत्पादों को विपरीत रूप में बाधित करे्गा । अनुभाग में किए गए शोध कार्य से इन बदलावों के घटकों का पता चला और इन ज्ञान से भिन्न मात्स्यिकी उत्पादों का सही संसाधन और संसाधन अवस्थाओं को समझा गया ।
पौष्टिक दृष्टि से मत्स्य में कुछ खास गुण होते हैं । यह जल्दी पच जाता है और जरूरी अमिनो अम्लों का आधार है । इसलिए इसे पुच्च कोटिका प्रोटीन माना जाता है । मत्स्य प्रोटीनों का हाईपोकोलेस्टंशेलिमिक और कारडियो प्रोटेक्टिव गुण वैज्ञानिक रूचि का विषय है ।
मत्स्य लिपिडों में खास पौष्टिक गुण होते है । मत्स्य लिपिडों में विद्यमान पूफा कोलेस्ट्रोल उपाचयन ब्लेटलेट अग्रेगेशन, और दिल के ऊतकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । जैव रसायन और पौष्टिक अनुभाग रस क्षेत्र में विस्तार से शोध करता आया है ।
इन खोजों ने जैव चिकित्सकीय प्रयोगों के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित करने में मदद की है।
इसलिए यह जरूरी है कि हमारे मात्स्यिकी उत्पाद में विषैले वस्तु न हों इसको ध्यान में रखते हुए , जैव रसायन और पोषण प्रभाग ओरगानो क्लोरिन कीटनाश्क अवशेष, भारी धातु,पोली आरोमेटिक हाइड्रोकार्बन, एटीबयोटिक अवशेष, अफलाटोक्सिन आदि पर ध्यान देती है । यह अनुभाग मत्स्य संसाधन उद्योग को जरुरी तकनीकी सहायता प्रदान करती आ रही है । संसाधन इंडस्ट्रियों और मत्स्य और मत्स्य नमूनों में उपयोग किए जानेवाले पानी में विषैले चीजों की उपस्थिति के लिए विश्लेषण किया जाता है ।
अनुभाग ने सफलतापूर्वक एन ए बी एल आडिट पूरा किया है और ओरगानोक्लेरिन कीटनाशकों के विश्लेषण के लिए एन ए बी एल अधिकत प्रयोगशाला है ।